Super Exam Indian Polity and Civics Supreme Court and High Court Question Bank उच्च न्यायालय

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    उच्च न्यायालय की रिट अधिकारिता की उच्चतम न्यायालय से तुलना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
    1. उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद-32) और उच्च न्यायालय (अनुच्छेद-226) के द्वारा जारी की जाने वाली रिटों की प्रकृति समान है।
    2. उच्चतम न्यायालय की रिट सम्पूर्ण भारत में मान्य है, जबकि उच्च न्यायालय की रिटें राज्य क्षेत्रीय सीमाओं तक ही मान्य हैं।
    3. उच्चतम न्यायालय की रिट अधिकारिता स्वयं एक मूल अधिकार है, जबकि उच्च न्यायालय की अधिकारिता संवैधानिक अधिकार है।
    4. अनुच्छेद-226 के अन्तर्गत उच्च न्यायालय मूल अधिकारों और किसी अन्य प्रयोजन के लिए रिट निकाल सकता है, इस अर्थ में उच्च न्यायालय की रिट अधिकारिता उच्चतम न्यायालय से अधिक विस्तृत उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?
     

    A) केवल 1

    B) केवल 2 और 4

    C) 1 और 3

    D) 1, 2, 3 और 4

    Correct Answer: D

    Solution :

    व्याख्या-उच्चतम न्यायालय के द्वारा संविधान के अनुच्छेद-32 और उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद-226 के द्वारा की जाने वाली रिटों की प्रकृति समान है। उच्चतम न्यायालय की रिट सम्पूर्ण भारत में मान्य है, जबकि उच्च न्यायालय की रिटें राज्यक्षेत्रीय सीमाओं तक ही मान्य हैं। उच्चतम न्यायालय की रिट अधिकारिकता स्वयं एक मूल अधिकार है, जबकि उच्च न्यायालय की अधिकारिकता संवैधानिक अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद-226 के अन्तर्गत उच्च न्यायालय मूल अधिकारों और किसी अन्य प्रयोजन के लिए रिट निकाल सकता है। इस अर्थ में उच्च न्यायालय की रिट अधिकारिता उच्चतम न्यायालय से अधिक विस्तृत है। उच्चतम न्यायालय केवल मूल अधिकारों के हनन की स्थिति में ये रिटें निकाल सकता है जबकि उच्च न्यायालय इसको साथ-साथ किसी भी अन्य विधिक अधिकार को भी प्रवृत्त कराने के लिए रिट निकाल सकता है। इस प्रकार संविधान के अनुच्छेद-226 के अधीन उच्च न्यायालय की रिट अधिकारिता मूल अधिकारों के उल्लंघन तक ही सीमित नहीं है।


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