Super Exam History The Gupta Empire Question Bank गुप्तयुगीन प्रशासन

  • question_answer
    भारतीय इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से सामंती व्यवस्था का/के अनिवार्य तत्व है/हैं?
    1. अत्यंत सशक्त केंद्रीय राजनैतिक सत्ता और अत्यंत दुर्बल प्रांतीय अथवा स्थानीय राजनैतिक सत्ता
    2. भूमि के नियंत्रण तथा स्वामित्व पर आधारित प्रशासनिक संरचना का उदय
    3. सामंत तथा उसके अधिपति के बीच स्वामी-दास संबंध का बनना नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।

    A) केवल 1 और 2

    B) केवल 2 और 3

    C) केवल 3   

    D) 1, 2 और 3

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - केवल 2 और 3 व्याख्या - ‘सामंत’ शब्द का उल्लेख कौटिल्य के अर्थशास्त्र में ‘स्वतंत्र पड़ोसी’ से अर्थ में किया गया है। सर्वम अश्वोषो (प्रथम शती) ने बुद्धचरित्र में इस शब्द का प्रयोग जागीरदार के लिए किया है। सामंती व्यवस्था का अंकुरण शक-कुषाण काल में हुआ तथा राजपूत काल तक आते-आते यह समाज में पूर्णतः प्रतिष्ठित हो गया। भारत में सामंती व्यवस्था कुषाणों से लेकर राजपूत काल, सल्तनकाल तथा मुगल काल तक प्रशासनिक व्यवस्था का अभिन्न अंग बनी रही। इस व्यवस्था के चर्मोत्कर्ष काल में भारत के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। सार्तों के प्रशासन पर बढ़ते प्रभाव के कारण केंद्रीय सत्ता अत्यंत निर्बल हो गई। अपनी शक्ति के लिए सम्राट पूर्णतया सामंतों पर ही आश्रित रहने लगे। इस समय ग्रामों में ग्रामपतियों का एक संपन्न वर्ग उठ खड़ा हुआ, जिसकी अधीनता में निर्धन किसानों का वर्ग था। इसके साथ ही विदेशी जातियों ने कुलीन शासक वर्ग का स्थान ग्रहण कर लिया। इस प्रकार स्वामी सामंत संबंधों का विकास हुआ भारतीय सामंती व्यवस्था यूरोपीय सामंती व्यवस्था से भिन्न थी।


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