Super Exam Physics Oscillations / दोलन Question Bank गुरूत्वाकर्षण एवं सरल आवर्तगति (दोलन)

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    निम्नलिखित में से किसने न्यूटन से पूर्व ही बता दिया था की सभी वस्तुएं पृथ्वी की ओर गुरुत्वाकर्षित होती हैं    (UPSC 1995)

    A) आर्यभट्ट

    B) वराहमिहिर

    C) बुद्धगुप्त

    D) ब्रह्मगुप्त

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - वराहमिहिर
    व्याख्या - वराहमिहिर 505 ई. में उज्जैन में जन्मे प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे। वराहमिहिर आर्यभट्ट के समकालीन थे। इनका विश्वास था कि पृथ्वी गोल है और उन्होंने पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बारे में सबसे पहले बताया। उनके अनुसार 'प्रकृति में कोई शक्ति जरूर है जो चीजों को पृथ्वी से चिपकाये रखती है।' बाद में इसी शक्ति को गुरुत्वाकर्षण नाम दिया गया। इनकी पुस्तकें- पंच सिद्धन्तिका, वृहज्जातक तथा वृहत संहिता हैं। इन्होने गणित में त्रिकोणमितीय सूत्र- \[si{{n}^{2}}x\text{ }+\text{ }co{{s}^{2}}x\text{ }=1\] दिया था। संख्या सिद्धांत नामक एक गणित ग्रन्थ की रचना की थी। इन्होने वर्तमान समय में पास्कल त्रिकोण के नाम से प्रसिद्ध संख्याओं की खोज की थी। वराहमिहिर का प्रकाशिकी में भी योगदान है, उन्होने कहा कि परावर्तन कणों के प्रति - प्रकीर्णन (Back – scattering) से होता है। उन्होंने अपवर्तन की भी व्याख्या की है। इन्होनें समय मापक घट यंत्र, इन्द्रप्रस्थ में लौहस्तम्भ के निर्माण और ईरान के शहंशाह नौशेखा के आमंत्रण पर जुन्दीशापुर नामक स्थान पर वेधशाला की स्थापना की।
    ब्रम्हागुप्त- वर्ष (598-668) ई. के प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। वे प्राचीन उज्जैन शहर की अंतरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे। उन्होंने ब्रहास्फुट सिद्धांत (628 ई.) और खंडखाद्य पद्धति (665 ई.) में लिखी।
    'ब्रहास्फुट सिद्धांत' ब्रम्हागुप्त की प्रथम रचना है यह संस्कृत में है। इसकी रचना 628 ई. में हुई। ब्रहास्फुट सिद्धांत को सबसे पहला ग्रन्थ माना जाता है जिसमें शून्य का एक पृथक अंक के रूप में उल्लेख किया गया है।
    आर्यभट्ट- छठी शताब्दी के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री माने जाते है। इसका मुख्य ग्रन्थ आर्यभट्टीयम है। आर्यभट्ट ने पाई (TT) का निकटतम मान 3.1416 बताया। आर्यभट्ट ने रेखागणित, मेंसुरेशन, वर्गमूल, घनमूल जैसी गणितीय समस्याओं पर शोध किया।
    मनुष्य ने सदैव आकाशीय पिंडों का अध्ययन करने का प्रयत्न किया है। इसी के संदर्भ में टॉलमी (Ptolemy) ने द्वितीय शताब्दी में परिकल्पना की थी कि.पृथ्वी, सौर मण्डल के केन्द्र पर स्थित है तथा बुध, शुक्र, बृहस्पति तथा शनि इसके चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। कॉपरनिकस (Copernicus) ने सोलहवीं शताब्दी में सौर मण्डल का सूर्य केन्द्रीय मॉडल दिया जिसके अनुसार सूर्य के चारों ओर सभी ग्रह अपनी-अपनी कक्षाओं में गति करते हैं। टाइको ब्रेह (Tycho Brahe) ने कॉपरनिकस द्वारा दिये गये मॉडल का अध्ययन कर ग्रहों की स्थिति के बारे में विभिन्न आंकड़े प्रस्तुत किए जिन्हें आधार मानकर कैपलर (Kepler) ने ग्रहों की गति के तीन नियम प्रस्तुत किये। उपरोक्त सभी परिकल्पनाएं ग्रहों की गति को बनाये रखने के लिए आवश्यक बल की व्याख्या करने में असफल रही।
    सन 1986 में न्यूटन (Newton) ने यह बताया किं ब्रहाण्ड में पदार्थ का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस सर्वव्यापी आकर्षण बल को 'गुरुत्वाकर्षण बल' कहते हैं।


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