Super Exam General Studies Dance and Music / नृत्य और संगीत Question Bank नृत्य परंपरा का परिचय एंव भारत में शास्त्रीय नृत्य (नृत्यकला भाग 1)

  • question_answer
    भरत के नाटयशास्त्र को किस वेद का भाग माना जाता है?

    A) ऋगवेद                     

    B) सामवेद

    C) अथर्ववेद   

    D)          इनमें से कोई नहीं

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर - इनमें से कोई नहीं
    व्याख्या - भरत मुनि की प्रसिद्ध रचना नाट्यशास्त्र है। आचार्य भरत ने नाट्यशास्त्र को ‘पंचमवेद’ भी कहा है। नाट्यशास्त्र में 36 अध्याय तथा लगभग पांच हजार श्लोक हैं।
    विशेष - नाट्यशास्त्र नाट्यविधियों का अमर विश्वकोश है। नाटक की उत्पत्ति, नाट्यशाला, विभिन्न प्रकार के अभिनय, नाटकीय सन्धियां, वृत्तियां, संगीतशास्त्रीय सिद्धांत आदि इसके प्रमुख विषय हैं। इसके अतिरिक्त 6ठे, 7वें और 17वें अध्यायों में काव्यशास्त्रीय अंगों- रस, गुण, दोष, अलंकार तथा छंद कवि निरूपण हुआ है। नायक-नायिका-भेद का भी इस ग्रंथ में निरूपण हुआ है। भरतमुनि ने ‘नाट्यशास्त्र‘ में दस गुण, दस दोष तथा चार अलंकार (यमक उपमा रुपक तथा दीपक) की मीमांसा की है। भरतमुनि ने रस की संख्या आठ मानी है।


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