Super Exam Economics Banking System Question Bank बैंकिंग तंत्र एवं कैशलेस इकोनॉमी

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    निम्न कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है?

    A) चेक एक प्रकार का विनिमय बिल होता है, जो एक निर्दिष्ट विशिष्ट बैंक के ऊपर आहरित होता है।

    B) जब तब संदेह करने के लिए विशेष कारण न हो धारक चेक का भुगतान चेक प्रस्तुत करने वाले को किया जाता है साधारण चेक होता है।

    C) जब धारक चेक में से ‘धारक‘ शब्द को काट दिया जाता है एवं उस पर ‘आर्डर‘ लिख दिया जाता है, तो चेक आदिष्ट चेक कहलाता है।

    D) जब चेक के बीचों बीच दो रेखाएं बता दी जायें, तो वह चेक रेखांकित चेक कहलाता है।

    Correct Answer: D

    Solution :

    उत्तर-जब चेक के बीचों बीच दो रेखाएं बता दी जायेंए तो वह चेक रेखांकित चेक कहलाता है।
    व्याख्या -
    · साधारण या धारक चेक: जब तक संदेह करने के लिए कोई विशेष कारण न हो, धारक चेक का भुगतान चेक प्रस्तुत करने वाले किसी भी व्यक्ति को किया जा सकता हैए भले ही वह चेक उसके नाम में हो अथवा नहीं, ऐसे चेक के भुगतान के लिए चेक जारी करने वाले के ऐसे ही निर्देश होते हैं कि भुगतान चेक के धारक को ही दे दिया जाए।
    · आदिष्ट चेक: जब किसी धारक चेक में से धारक शब्द को काट दिया जाए अथवा उस चेक पर व्तकमत लिख दिया जाए, तो वह चेक आदिष्ट चेक बन जाता है। इसे चेक का भुगतान करने के लिए बैंक भुगतान लेने वाले व्यक्ति की पहचान करती है। इस औपचारिकता के बाद ही उस चेक का भुगतान किया जाता है।
    · रेखांकित चेक: जब चेक के ऊपर प्रायः बाईं ओर दो समानान्तर रेखाएँ बना दी जाती हैं, तो वह चेक रेखांकित चेक बन जाता है। इस रेखांकित चेक का भुगतान बैंक काउंटर पर नकद प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसका भुगतान किसी खाते में उसे जमा करा कर ही प्राप्त किया जा सकता है।
    · पावक खाता चेकः जब किसी चेक के प्रायः बाईं ओर ऊपर कोने में दो समानान्तर रेखाओं के मध्य (Account Payee Only) लिख दिया जाता है, तो उस चेक को पावक खाता चेक कहते हैं। इस चेक का भुगतान केवल उसी व्यक्ति या प्रतिष्ठान अथवा संस्थान के खाते में जमा करके किया जाता है, जिसके नाम वह चेक लिखा होता है अर्थात् इस प्रकार के चेक का अन्य किसी व्यक्ति के पक्ष में हस्तांतरण नहीं किया जा सकता।
    जब चेक के मुख्य पृष्ठ पर दो समानान्तर रेखाओं के मध्य किसी बैंक का नाम लिख दिया जाता है, तो यह चेक विशिष्ट रेखांकित चेक बन जाता है।
    · यात्री चेक: यात्री चेक किसी बैंक द्वारा जारी किया गया ऐसा चेक होता है, जिसे जारी करते समय चेक के मुख्यपृष्ठ पर आवेदक के हस्ताक्षर कराए जाते हैं। इस चेक का भुगतान देशभर में संबंधित बैंक की किसी भी शाखा से प्राप्त किया जा सकता है। चेक का भुगतान करने वाली शाखा भुगतान के समय पुनः चेक के मुखपृष्ठ पर धारक के हस्ताक्षर कराती है। दोनों हस्ताक्षर मिलने पर ही यात्री चेक का भुगतान होता है। बैंक द्वारा अधिकृत प्रमुख वाणिज्यिक संस्थान भी यात्री चेक नकद मुद्रा की भाँति स्वीकार कर लेते हैं।
    · पूर्व दिनांकित चेक: यदि आहरणकर्ता चेक लिखने की तारीख से पहले की कोई तारीख चेक पर लिखता है, तो ऐसे चेक को पूर्व दिनांकित चेक कहा जाता है।
    · गतावधि अथवा पुराना चेक: यदि चेक जारी करने की तारीख के बाद वह चेक समुचित अवधि के अन्दर भुगतान के लिए प्रस्तुत न किया जाए, तो उसे गतावधि अर्थात् पुराना चेक कहा जाता है। बेंकर ऐसे चेक का आहरणकर्ता द्वारा पुष्टि के बिना भुगतान नहीं करता है।
    · उत्तर दिनांकित चेक: यदि किसी चेक का आहरणकर्ता चेक लिखते समय उस पर कोई आगामी तारीख लिख देता है, तो ऐसे चेक को उत्तर दिनांकित चेक कहा जाता है। ऐसा चेक विधि-अमान्य तो नहीं होताए अपितु उस तारीख से प्रभावित होता हैए जो उसमें लिखी जाती है।
    · बैंक ड्राफ्ट: यह एक ऐसा साख प्रपत्र है, जिसमें किसी बैंक द्वारा अपनी किसी अन्य शाखा को पावक आदेशानुसार ड्राफ्ट में उल्लिखित धनराशि माँग पर भुगतान करने का आदेश होता है। ड्राफ्ट किसी बैंक द्वारा पहले से भुगतान प्राप्त करके जारी किया जाता है तथा जिस व्यक्ति अथवा संस्था के नाम ड्राफ्ट बनाया जाता है। उसकी पहचान करने के बाद इसका भुगतान कर दिया जाता है।
    · समाशोधन गृह अथवा क्लीयरिंग हाउस: समाशोधन गृह अथवा क्लीयरिंग हाउस प्रायः प्रत्येक ऐसे शहर में होता है, जहाँ 3-4 अथवा उससे अधिक बैंकें होती हैं। क्लीयरिंग हाउस वह स्थान हैए जहां विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि प्रतिदिन एकत्र होते हैं तथा स्थान पर उन प्रतिनिधियों के मध्य चेकों का आदान-प्रदान तथा जमा-खर्च होता है। इस प्रकार यहाँ हजारों चेकों का लेन-देन बहुत ही सरलता से तथा थोड़े समय में ही सम्पन्न हो जाता है। इस प्रक्रिया को समाशोधन कहते हैं। भारत में जिन शहरों में रिजर्व बैंक की शाखा है, वहाँ रिजर्व बैंक में ही समाशोधन गृह होता है। जिन शहरों में रिजर्व बैंक की शाखा नहीं हैए वहाँ स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में समाशोधन गृह होता है।
    · चेक कलेक्शन (Cheque Collection): जब चेक शहर के बाहर किसी स्थान पर भुगतान के लिए भेजा जाता है, तो इसे ही कलेक्शन कहते हैं, ऐसे चेक का भुगतान प्राप्त करने के लिए बैंक ग्राहक से डाक-व्यय एवं कमीशन लेती है।
    · बॉण्ड अथवा डिबेन्चर: बॉण्ड एवं डिबेन्चर का अर्थ ऋणपत्रों से होता है, जिन्हें केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार अथवा किसी संस्थान द्वारा ऋण लेकर जारी किया जाता है। संयुक्त पूंजी कम्पनियाँ ऋण लेकर जारी किया जाता है। संयुक्त पूंजी कम्पनियाँ ऋण प्राप्त करने के लिए अपने डिबेन्चर जारी करती हैं। इन बॉण्डों को हस्तान्तरित भी किया जा सकता है, जो संस्था इन्हें जारी करती हैं। वे इन पर धारक को एक निश्चित दर से ब्याज भी देती है।
    · गिफिन वस्तुएँ: गिफिन वस्तुएँ कुछ घटिया किस्म की ऐसी वस्तुएँ होती हैं जिन पर उपभोक्ता अपनी आय का बड़ा भाग व्यय करता है। इन वस्तुओं पर माँग का नियम लागू नहीं होता, बल्कि मूल्य में वृद्धि से इनकी माँग बढ़ जाती है तथा मूल्य में कमी से माँग भी कम हो जाती है। इस विरोधाभास को गिफिन का विरोधाभास कहा जाता है।
    · अनुसूचित व्यापारिक बैंक: अनुसूचित व्यापारिक बैंक उन बैंकों को कहा जाता हैए जिन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने अपनी दूसरी अनुसूची में सम्मिलित कर दिया है। कुछ आवश्यक शर्ते पूरी करने पर ही रिजर्व बैंक द्वारा किसी बैंक को इस अनुसूची में सम्मिलित किया जाता है। जैसे बैंक की चुकता पूंजी तथा आरक्षित पूँजी का योग कम-से-कम RS. 5 लाख होना चाहिए तथा बैंक का संचालन ऐसा होना चाहिए कि जिसमें जमाकर्ता के हित सुरक्षित किये जायें।
    · अग्रणी बैंक अथवा लीड बैंक योजना: यह योजना-जिलों की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए 1969 में प्रारम्भ की गई थी। इसके अन्तर्गत प्रत्येक जिले के लिए एक बैंक को लीड बैंक घोषित कर दिया जाता है, जिस बैंक को लीड बैंक घोषित किया जाता है, वह जिला स्तर पर ऋणों की योजना बनानेए विशिष्ट कार्यक्रमों में अन्य बैंकों का सहयोग लेने तथा निश्चित कार्यक्रमों के लिए ऋण जुटाने में सभी वित्तीय संस्थाओं में समन्वय कायम करने का प्रयास करता है।


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