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A. | सममित वलन | 1. | दोनों भुजाओं की लम्बार्इ व ढाल असमान |
B. | असममित वलन | 2. | दोनों भुजाओं की लम्बार्इ व ढलान समान |
C. | समनत वलन | 3. | तीव्र ढाल युक्त वलन |
D. | अधिवलन | 4. | दोनों भुजाएं समानान्तर |
A) A\[\to \]2, B\[\to \]1, C\[\to \]3, D\[\to \]4
B) A\[\to \]2, B\[\to \]3, C\[\to \]4, D\[\to \]1
C) A\[\to \]3, B\[\to \]4, C\[\to \]1, D\[\to \]2
D) A\[\to \]4, B\[\to \]1, C\[\to \]2, D\[\to \]3
Correct Answer: A
Solution :
उत्तर - A\[\to \]2, B\[\to \]1, C\[\to \]3, D\[\to \]4 |
व्याख्या - पर्वत निर्माणकारी क्षैतिज संचलन के परिणामस्वरूप धरातलीय चट्टानों में संपीडन के कारण लहरों के रूप में पड़ने वाले मोड़ों को वलन कहते हैं। वलन के कारण चट्टानों के नीचे धंसे हुए भाग को अभिनति तथा ऊपर उठे हुए भाग को अपनति कहते हैं। |
सममित वलन - जब दबाव शक्ति की तीव्रता कम एवं दोनों दिशाओं में समान हो, तो सममित वलन का निर्माण होता है। इसमें वलन की दोनों भुजाओं की लम्बार्इ व ढलान बराबर होती है। इसे सरल वलन या खुले प्रकार का वलन के नाम से भी जाना जाता है। |
असममित वलन - इस प्रकार के वलन में दोनों भुजाओं की लम्बार्इ व ढाल असमान होती है। कम झुकाव वाली भुजा अपेक्षाकृत बड़ी तथा अधिक झुकाव वाली भुजा छोटी होती है। |
समनत वलन - इस प्रकार के वलन में वलन की दोनों भुजाएं समानान्तर होती हैं। इस वलन में आगे का भाग झूलता हुआ नजर आता है। ऐसे वलन में संपीड़न की तीव्रता स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। |
अधिवलन - इस वलन की विशेषता यह है कि वलन की एक भुजा आगे की ओर निकली हुर्इ रहती है एवं तीव्र ढाल बनाती है। जबकि दूसरी भुजा तुलनात्मक रूप से लम्बी होती है और कम झुकी होने के कारण धीमी ढाल बनाती है। इस वलन का निर्माण सामान्यत: तब होता है जब दबाव शक्ति एक दिशा में तीव्र होती है। |
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