Super Exam Geography Land Movement and Related Topographies / भू-संचलन एवं संबंधित स्थलाकृतियाँ Question Bank भू-संचलन एवं संबंधित स्थलाकृतियाँ

  • question_answer
    निम्न कथनों पर विचार करें -
    1. भ्रंशन की उत्पत्ति केवल संपीड़न बल से होती है।
    2. सामान्य भ्रंश का निर्माण तनाव बल के कारण होता है।
    3. व्युत्क्रम भ्रंश संपीडन बल के कारण निर्मित होते हैं। उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें

    A) 1 और 2

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3

    D) 1, 2 और 3

    Correct Answer: B

    Solution :

    उत्तर - 2 और 3
    व्याख्या - कथन 1 असत्य है, शेष दोनों कथन सत्य है। क्योंकि भ्रंशन की उत्पत्ति क्षैतिज संचलन के दोनों बलों संपीडन व तनाव बल से होती है। पृथ्वी के अंतर्जात बल के कारण भूपृष्ठ की चट्टानों में दरार उत्पन्न हो जाती है जिसे विभंग (fracture) कहते हैं। ऐसे विभंग जिसमें चट्टानें टूटकर एक तल के सहारे स्थानांतरित हो जाती हैं भ्रंशन कहलाती है।
    सामान्य भ्रंश का निर्माण तनाव बल के कारण होता है। इसमें दरार के दोनों ओर के भूखंड एक दूसरे के विपरीत दिशा में खिसकते हैं एवं एक खंड नीचे की ओर गिर जाता है। सामान्य भ्रंश से भूपटल का प्रसार होता है। इस भ्रंश में ऊपरी भित्ति, आधार भित्ति के सापेक्ष नीचे खिसकी हुर्इ होती है।
    व्युत्क्रम या उत्क्रम भ्रंश संपीड़न बल के कारण निर्मित होता है। दबाव के कारण दोनों ओर के भूखंड एक दूसरे की तरफ खिसकते हैं एवं एक एक दूसरे पर आरुढ़ हो जाते हैं इससे सतह का फैलाव पहले की तुलना में घटता है। अर्थात जब चट्टानों में दरार पड़ जाने के कारण उसके दोनों खंड एक दूसरे की ओर खिसकते हैं और एक दूसरे के ऊपर आरूढ़ हो जाते हैं। इस प्रकार निर्मित भ्रंश को व्युत्क्रम भ्रंश कहते हैं। इसे आरूढ़ भ्रंश भी कहा जाता है। इस भ्रंशन से कगारों का निर्माण होता है। जैसे-पश्चिमी घाट कगार, विंध्यन कगार क्षेत्र में लटकती घाटियां एवं जलप्रपात का विकास। इस प्रकार के भ्रंशन में सतह का फैलाव पहले की अपेक्षा घट जाता है।


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