A) विकटाक्षर
B) सिद्धमातृका लिपि
C) उत्तरलिच्छवी लिपि
D) उपरोक्त सभी
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - उपरोक्त सभी |
व्याख्या - कुटिल लिपि को उत्तरलिच्छवी लिपि भी कहते हैं। यह लिपि भारत से प्रारम्भ हुई थी। इस लिपि को भारत में विकटाक्षर भी कहते हैं। पुरातत्वविदों ने गुप्त लिपि का परिवर्तित रूप मानी जाने वाली इस लिपि को न्यूनकोणीय लिपि तथा सिद्ध मातृका लिपि भी कहा है। यह लिपि नेपाल में अंशुवर्मा के शासनकाल के बाद ही प्रचलन में आई। फिर भी अंशुवर्मा के शिलालेखों के अक्षरों में कुटिला लिपि का प्रभाव देख जा सकता है। ऐसे कुटिलाक्षर में विशेषतया ह्रस्व, दीर्घ ईकार और ओकार स्वर आदि प्रयोग हुए हैं। |
टिप्पणी - इस लिपि में अक्षरों के सिर ठोस त्रिकोण जैसे हैं, लेकिन कहीं-कहीं ये आड़े-तिरछे, टेढ़े-मेढे या कुटिल ढंग से भी हैं। |
यह लिपि छठी शताब्दी से 9वी शताब्दी तक प्रचलन में रही। |
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