A) त्वचा से
B) क्लोम से
C) फेफड़ों से
D) वातक तन्त्र से
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - वातक तन्त्र (Tracheal system) से |
व्याख्या - प्राणियों के विभिन्न वगोर्ं के बीच श्वसन की क्रियाविधि उनके निवास और संगठन के अनुसार बदलती है। निम्न अकशेरुकी जैसे स्पंज, सीलेंटेट्रा चपटेकृमि आदि \[{{O}_{2}}\] और \[C{{O}_{2}}\] का आदान-प्रदान अपने सारे शरीर की सतह से सरल विसरण द्वारा करते हैं। केंचुए अपनी आर्द्र क्यूटिकल को श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। कीटों के शरीर में नलिकाओं का एक जाल (श्वसन नलिकाएं) होता है। जिनसे वातावरण की वायु का उनके शरीर में विभिन्न स्थान पर पहुंचती है। ताकि कोशिकाएं सीधे गैसों का आदान-प्रदान कर सकें। जलीय जीवों तथा मौलस्का में श्वसन विशेष संवहनीय संरचना क्लोम (गिल) द्वारा होता है, जबकि स्थलचर प्राणियों में श्वसन विशेष संवहनीय थैली फुप्फुसध्फेफड़े द्वारा होता है। |
सभी कीटों में श्वसन के लिए वायु नलियों या ट्रेकिया का जाल रहता है, जिसे वातक तन्त्र कहते हैं। यह तन्त्र बाहरी ऑक्सिजन को ग्रहण कर शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं तक पहुंचाने का कार्य करता है। कशेरुकों में मछलियां क्लोम (गिल) द्वारा श्वसन करती हैं जबकि सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी फेफड़ों द्वारा श्वसन करते हैं। उभयचर जैसे मेंढक अपनी त्वचा (नम त्वचा) द्वारा भी श्वसन कर सकते हैं। स्तनधारियों में एक पूर्ण विकसित श्वसन प्रणाली होती है। |
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