Super Exam History Freedom struggle Question Bank स्वाधीनता संग्राम (1928-1935 ई.)

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    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929) इतिहास में इसलिए बहुत प्रसिद्ध है, क्योंकि
    1. कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग का एक संकल्प पारित किया।
    2. इस अधिवेशन में उग्रवादियों एवं उदारवादियों के बीच झगड़े को सुलझा लिया गया।
    3. इस अधिवेशन में दो राष्ट्रों की मांग के सिद्धान्त को अस्वीकार करते हुए एक संकल्प पारित किया गया। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

    A) केवल 1

    B) 2 और 3

    C) 1 और 3

    D) इनमें से कोर्इ नहीं

    Correct Answer: A

    Solution :

    उत्तर - केवल 1
    व्याख्या - 31 दिसम्बर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन का आयोजन किया गया। जिसके अध्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू सम्मेलन ने नेहरू रिपोर्ट को पूरी तरहं निरस्त घोषित किया गया। जवाहर लाल नेहरू ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह स्वीकार करता हूं कि मैं समाजवादी और गणतंत्रवादी हूं और राजाओं, नरेशों या उस व्यवस्था में मेरा कोर्इ विश्वास नहीं है. जो आधुनिक औद्योगिक सम्राट उत्पन्न करती है। 31 दिसम्बर 1929 को रात के 12 बजे जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर अपार जनसमूह के मध्य नवगृहीत तिरंगे झंडे को फहराया। इस अवसर पर नेहरू ने कहा कि ‘ब्रिटिश सत्ता के सामने अब अधिक झुकना मनुष्य और र्इश्वर दोनों के विरूद्ध अपराध है।’ द्य टिप्पणी - अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाने का निश्चय किया गया। कांग्रेस ने प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने का निश्चय किया। पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारम्भ करने का नेतृत्व गांधीजी को सौंपा गया।
    विशेष - पं. जवाहर लाल नेहरू ने अध्यक्षीय भाषण दिया कि आज हमारा सिर्फ एक लक्ष्य है स्वाधीनता का लक्ष्य। हमारे लिए स्वाधीनता के मायने है, ब्रिटिश साम्राज्यवाद से पूर्ण स्वतंत्रता।’


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