इस पद्य को ध्यान से पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दें: |
सोभा:सिंधु न अंत रही री। नंद:भवन भरि पूरि उमँगि चलि, ब्रज की बीथिनि फिरति बहीरी।। |
देखी जाइ आजु गोकुल मैं, घर घर बेंचति फिरति दही री। |
कहँ लगि कहौं बनाई बहुत बिधि, कहत न मुख सहसहुँ निबही री।। |
जसुमति:उदर अगाथ:उदधि तैं, उपजी ऐसी सबनि कही री। |
सूरस्याम प्रभु इंद्र-नीलमनि, ब्रज:बनिता उर लाइ गही री।। |
प्रश्न- इस पद के रचनाकार का नाम क्या है? |
A) तुलसीदास जी
B) सूरदास जी
C) बल्लभाचार्य जी
D) रामानंद जी
Correct Answer: B
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