इस गद्य को ध्यान से पढ़े और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दें: |
धर्म एक व्यापक शब्द है। मजहब, मत, पंथ,या संप्रदाय सीमितरूप हैं। संसार के सभी धर्म मूल रूप से एक ही हैं। सभी मनुष्य के साथ सद्व्यवहार सिखाते हैं। ईश्वर किसी विशेष धर्म या जाति का नहीं। सभी प्राणियों में एक प्राण स्पंदन होता है। उसके रक्त का रंग भी एक ही है। सुख-दुख का भाव बोध भी उनमें एक जैसा है। आकृति और वर्ण, वेशभूषा और रीति-रिवाज तथा नाम ये सभी ऊपरी वस्तुएँ हैं। ईश्वर ने मनुष्य या इंसान को बनाया है और इंसान ने बनाया है धर्म या मजहब को। ध्यान रहे मानवता या इंसानियत से बड़ा धर्म या मजहब दूसरा कोई नहीं। वह मिलना सिखाता है, अलगाव नहीं। धर्म तो एकता का घोतक है। |
प्रश्न- उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए। |
A) संसार के सभी धर्म मूल में एक हैं। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। धर्म जोड़ता है न कि तोड़ता है। संसार के सभी प्राणियों में एक ही प्राण का संचार है। वह बाह्य रूप से अलग दिखाई पड़ता है किंतु वह अंदर से एक ही है। उसमें कोई भेद नहीं है।
B) संसार के सभी धर्म मूल में एक हैं। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। धर्म जोड़ता है न कि तोलता है। संसार के सभी प्राणियों में एक ही प्राण का संचार है। वह बाह्य रूप से अलग दिखाई पड़ता है किंतु वह अंदर से एक ही है। उसमें कोई भेद नहीं है।
C) संसार के सभी धर्म मूल में एक हैं। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। धर्म जोड़ता है न कि तोड़ता है। संसार के सभी प्राणियों में एक ही प्राण का समाचार है। वह बाह्य रूप से अलग दिखाई पड़ता है किंतु वह अंदर से एक ही है। उसमें कोई भेद नहीं है।
D) संसार के सभी धर्म मूल में एक हैं। मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। धर्म जोड़ता है न कि तोड़ता है। संसार के सभी प्राणियों मे एक ही प्राण का संचार है। वह बाह्य रूप से अलग दिखाई पड़ता है किंतु वह अंदर से एक ही है। उसमें कोई भेद नहीं है।
Correct Answer: A
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