MP State Exams General Studies MPPSC Preliminary (C-SAT) Solved Paper 2014 Shift-II

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    प्रश्न संख्या 86 से 90 के उत्तर निम्नलिखित अवतरण के आधार पर दीजिएः
    “"मनुष्य के लिए कविता इतनी प्रयोजनीय वस्तु है कि संसार की सभ्यअसभ्य सभी जातियों में, किसी-न-किसी रूप में पाई जाती है। चाहे इतिहास न हो, विज्ञान न हो, दर्शन न हो, पर कविता का प्रचार अवश्य रहेगा। बात यह है कि मनुष्य अपने ही व्यापारों का ऐसा सघन और जटिल मण्डल बाँधता चला आ रहा है, जिसके भीतर बँधा-बँधा वह शेष सृष्टि के साथ अपने हृदय का सम्बन्ध भूला-सा रहता है। इस परिस्थिति में मनुष्य को अपनी मनुष्यता खोने का डर बराबर रहता है। इसी की अन्तः प्रकृति में मनुष्यता को समय - समय पर जगाते रहने के लिए कविता मनुष्य जाति के साथ चली आ रही है, और चलती चलेगी।”
    मनुष्य को अपनी मनुष्यता खोने के भय से कविता किस प्रकार मुक्ति दिलायेगी?
     

    A) शेष सृष्टि से संबंध भुलाकर।

    B) मनुष्य को सांसारिक व्यापारों से जोड़कर।

    C) मनुष्य की अंतः प्रकृति में मनुष्यता जगाकर।

    D) काव्य-परंपरा का विस्तार करके।

    Correct Answer:


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