प्रश्न संख्या 86 से 90 के उत्तर निम्नलिखित अवतरण के आधार पर दीजिएः |
"मनुष्य के लिए कविता इतनी प्रयोजनीय वस्तु है कि संसार की सभ्यअसभ्य सभी जातियों में, किसी-न-किसी रूप में पाई जाती है। चाहे इतिहास न हो, विज्ञान न हो, दर्शन न हो, पर कविता का प्रचार अवश्य रहेगा। बात यह है कि मनुष्य अपने ही व्यापारों का ऐसा सघन और जटिल मण्डल बाँधता चला आ रहा है, जिसके भीतर बँधा-बँधा वह शेष सृष्टि के साथ अपने हृदय का सम्बन्ध भूला-सा रहता है। इस परिस्थिति में मनुष्य को अपनी मनुष्यता खोने का डर बराबर रहता है। इसी की अन्तः प्रकृति में मनुष्यता को समय - समय पर जगाते रहने के लिए कविता मनुष्य जाति के साथ चली आ रही है, और चलती चलेगी। |
कविता में प्रयोजनीयता के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है? |
A) वह सभी में किसी-न-किसी रूप में पाई जाती है।
B) उसका प्रचार हर काल में होता रहेगा।
C) वह मनुष्य की अंतः प्रकृति में मनुष्यता को जगाते रहने का काम करती है।
D) वह सभ्य-असभ्य सभी वर्गों से जुड़ी रहती है।
Correct Answer:
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