MP State Exams General Studies MPPSC Preliminary (C-SAT) Solved Papers 2015 Shift-II

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    निर्देश: प्रश्न संख्या 91 से 95 के उत्तर निम्नांकित अवतरण के आधार पर दीजिए:
    मानव ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। जीवन जीने के लिए है और मनुष्य जीना भी चाहता है। जीने से तात्पर्य है- उल्लासपूर्ण जिंदगी। पर अनेक बार निराशा घेर लेती है। वह कौन-सी कला है, जिससे उल्लासपूर्ण जिंदगी जी जा सके? यह कला एक बहुत ही साधारण कला है। इसके लिए न किसी तप की आवश्यकता है और न योग साधना की। यह कला है - दूसरों के लिए जीना, केवल अपने लिए नहीं। जब हम दूसरों के लिए जिएँगे, तो हमारी जिंदगी दूसरों की भी हो जएगी और लोग हमसे प्यार करने लगेंगे, जिससे आनंद के सारे द्वार खुल जाएँगे। ऐसी ही स्थिति में हमारा जीवन सौद्देश्य कहलाएगा और हमें जीवन के मनोहारी रूप के दर्शन हो सकेंगे।
    दिए गए गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक हो सकता है?
     

    A) जीवन में योग साधना

    B) जीवन-एक तपस्या

    C) जीवन जीने की कला

    D) जीवन और ईश्वर

    Correct Answer:


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