बहुलक

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बहुलक

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

बहुलकों (Polymer) का आधुनिक समय में दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। अनेक उद्योगों में काम आने वाली अनगिनत वस्तुओं का निर्माण बहुलकों द्वारा होता हैं। प्राकृतिक बहुलक, जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, हमारे भोजन के अवयव हैं। संश्लेषित बहुलक, जैसे- प्लास्टिक, संश्लेषित रेशे, रबर रेजिन आधुनिक उद्योगों की मूलभूत आवश्यकता हैं। नाइलॉन, टेरिलीन जैसे- संश्लेषित रेशों ने वस्त्र-उद्योग की रीढ़ हैं वर्तमान में सूती, ऊनी, रेशमी कपड़ों का स्थान, विभिन्न रेशों से निर्मित टेरीकॉट, टेरीवूल ने ग्रहण किया है। प्लास्टिक से विभिन्न प्रकार की उपयोगी वस्तुएं बनायी जा रही हैं। प्लास्टिकरेजिन से बिजली के स्विचें तथा अन्य सामान, संश्लेषित रबर से वाहनों के टायर, ट्यूब बनाये जाते हैं।

बहुलक वृहत् अणु (Macro molecule) के उदाहरण हैं। प्लास्टिक के गुणों को बेहतर करने के लिए मिश्रित किये जाने वाले पदार्थ को प्लास्टिककारी (Plasticizers) कहते हैं। इन्हे रंगीन बनाने के लिए रंजक (Dye) या वर्णक (Pigment) तथा कम लागत में बनाने के लिए पूरक (Filler) मिलाये जाते हैं।

 

बहुलक (Polymers) - पॉलिमर शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्दों, Poly + mer के मिलने से हुर्इ है। Poly का अर्थ ‘Many’ (बहुत) तथा ‘Mer’ का अर्थ होता है- ‘Parts’ (हिस्से) ‘‘सरल अणुओं से मिलकर बने उच्चतर आण्विक द्रव्यमान वाले यौगिक बहुलक कहलाते हैं’’ बहुलकों को वृहत् अणु (Macro molecules) भी कहते हैं। इनमें सरल अणुओं (एकलक) की संख्या सामान्य 100 से अधिक रहती है।

 

एकलक- संयोजन करने वाले सरल या छोटे अणु एकलक (Monomers) कहलाते हैं। (एकलकों के संयोजन से बने पदार्थ को बहुलक कहते हैं।)

 

बहुलीकरण- वह रासायनिक अभिक्रिया, जिसमें दो या अधिक छोटे अणु परस्पर मिलकर बड़े (उच्चतर) अणु बनाते हैं, बहुलीकरण (Polymerization) कहलाती है। उदाहरण- एथिलीन अणुओं के बहुलीकरण से पॉलिएथिलीन या पॉलिथीन का निर्माण होता है।

\[\underset{(,dyd)(cgqyd)}{\mathop{n(C{{H}_{2}}=C{{H}_{2}}-)(,fFkyhu )\to {{(-C{{H}_{2}}-C{{H}_{2}}-)}_{n}}}}\,\]\[{\scriptscriptstyle 1\!/\!{ }_4}ify,fFkyhu ;k ifyFkhu)\]

एक ही बहुलक का निर्माण करने वाले सभी एकलक अणु एक समान या दो अथवा तीन प्रकार के हो सकते हैं।

 

(i)             समबहुलक (Homopolymer)- इनका निर्माण एक ही प्रकार के एकलक के संयोजन से होता हैं। उदाहरण-एथिलीन (एकलक) के अणुओं के संयोजन से पॉलिथीन (बहुलक) बनता है।

 

(ii)            मिश्रित बहुलक या सहबहुलक (mixed-polymer or Copolymer)- इनका निर्माण एक से अधिक प्रकार के एकल के संयोजन से होता हैं। उदाहरण- स्टाइरीन (\[{{C}_{6}}{{H}_{5}}CH=C{{H}_{2}}\]) तथा ब्यूटाडार्इन (\[C{{H}_{2}}=CH-CH=C{{H}_{2}}\]) से स्टाइरीन ब्यूटाडाइर्इन रबर (SBR) सहबहुलक बनता है। प्रकृति में सहबहुलीकरण (Co-polymerization) पॉलि-पेप्टाइडों तथा प्रोटीनों में उपस्थित रहता है। कर्इ प्रोटीन लगभग 20 ऐमीनो अम्लों से मिलकर बने होते हैं। अच्छे संश्लेषित बहुलक दो या अधिक-से-अधिक तीन एकलकों से बनते हैं।

बहुलकों का वर्गीकरण (Classification of polymer) - इनका वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है

1. स्रोत या उत्पत्ति के आधार पर वर्गीकरण,

2. संरचना के आधार पर वर्गीकरण,

3. संश्लेषण के आधार पर वर्गीकरण,

4. कणान्तर बल के आधार पर वर्गीकरण।

 

1.             उत्पत्ति या स्त्रोत पर आधारित वर्गीकरण- दो वगोर्ं में  वर्गीकृत किया गया है (i) प्राकृतिक बहुलक (Natural polymer),

(ii) संश्लेषित बहुलक (Synthetic polymer)

 

प्राकृतिक बहुलक- प्रकृति में विशेषकर पौधों एवं जीवों में पाये जाते हैं, उन्हें प्राकृतिक बहुलक कहते हैं। प्रमुख उदाहरण -पॉलिसैकेराइड, न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन, प्राकृतिक रबड़।

 

2.             संरचना पर आधारित वर्गीकरण - इसका वर्गीकरण एकलक इकाइयां (Monomeric units) के परस्पर जुड़ने के प्रकार पर निर्भर करता हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं

(i)     रेखीय बहुलक (LineraPolymer),

(ii)    शाखित शृंखला बहुलक (Branched Chain Polymer),

(iii) तिर्यक् बद्ध बहूलक (Cross&linked polymers)

 

3.             संश्लेषण पर आधारित वर्गीकरण -ये दो प्रकार के होते हैं

(i)     योगात्मक बहुलक (Addition polymer),

(ii)    संघनन बहुलक (Condensation polymers)

 

(i)         योगात्मक बहुलक- एकलक इकाइयां असन्तृप्त यौगिक होती हैं। ये सामान्यत: ऐल्कीन और उसके व्युत्पन्न होते हैं। जब एकलक परस्पर जुड़कर श्रृंखला बनायें एवं किसी उपजात अणु की कमी ना होने पर प्राप्त होने वाला उत्पाद योगात्मक बहुलक तथा यह प्रक्रिया योगात्मक बहुलीकरण (Addition polymerization) कहलाती हैं। इन बहुलकों का आण्विक सूत्र और आण्विक द्रव्यमान, इनके एकलक का पूर्ण गुणांक होता है। योगात्मक बहुलकों के प्रमुख उदाहरण हैं-

a.         पॉलिओलिफिन - पॉलिएथिलीन या पॉलिथीन,  पॉलिप्रोपिलीन, पॉलिस्टाइरीन।

b.         पॉलि हैलो ओलिफिन- पॉलिवाइनिल क्लोराइड (PVC), पॉलिवाइनिल ऐसीटेट, टेफ्लॉन या पॉली टेट्राफ्लुओरो एथिलीन (PTFE), पॉलिमोनोक्लोरो- ट्राइफ्लोरोएथिलीन (PCTFE)

c.         पॉलिडाइर्इन्स- निओप्रिन, ब्यूना-S या S.B.R, ब्यूना-N या G.R.A.

d.         पॉलिऐक्रिलेट्स- ल्युसाइट या प्लेक्सिग्लास या ऐक्रिलाइट, पॉलिएथिल ऐक्रिलेट, अॉर्लोन या ऐक्रिलेन।

 

(ii)        संघनन बहुलक- इस प्रकार के बहुलक संघनन बहुलीकरण (Condensation polymerization) द्वारा बनते हैं। संघनन वह प्रक्रम है, जिसमें एकलक परस्पर क्रिया करके बहुलक बनाते हैं। इसमें \[N{{H}_{3}},{{H}_{2}}O,C{{H}_{3}}OH,CO\]जैसे सरल अणुओं का विलोपन (Elimination) होता है। उपजात अणुओं का विलोपन होने के कारण प्राप्त बहुलक का आण्विक द्रव्यमान एकलक के द्रव्यमान का पूर्ण गुणांक नहीं होता। उदाहरण- पॉलिएस्टर- ट्रेरेलीन, ग्लिप्टल, पॉलिएमाइड (Polyamides) - नायलॉन-66, नायलॉन-6, फॉर्मेल्डिहाइड रेजिन- बैकलाइट या फीनॉल फॉर्मेल्डिहाइड रेजिन, यूरिया फॉर्मेल्डिहाइड रेजिन, मेलामाइन फॉर्मेल्डिहाइड रेजिन या मेलावेयर।

 

4.             कणान्तर बल के आधार पर वर्गीकरण - इनके यान्त्रिक गुण जैसे प्रत्यास्थता (Elasticity), तन्यता (Tensile Strength), इनमें उपस्थित अन्तराअणुक बलों (प्दजतंउवसमबनसंत वितबमे) जैसे-वाण्डर वाल्स बल, हाइड्रोजन बंध पर निर्भर करते हैं, लेकिन ये बल एकलकों (monomers) में भी उपस्थित होतेहैं, किंतु यहां पर इन बलों का महत्व नगण्य होता है। बहलकों में इन बलों का पूरी श्रृंखला महत्व अत्यधिक होता है, जितनी लम्बी श्रृंखला होती है, उतने ही मजबूत अन्तराअणुक बल होते हैं। बहुलकों में अन्तरा अणुक बलों के आधार पर इनके चार.. प्रकार हैं

(i) प्रत्यास्थ बहुलक या प्रत्यास्थलक (Elastiomer),

(ii) तन्तु या फाइबर (FIbre),

(iii) तापसुनम्य या तापसुघटî (Thermoplastics),

(iv) ताप –ढ़ बहुलक (Thermoplasting polymers)

 

(i)             प्रत्यास्थ बहुलक या इलेस्टोमर- इन बहुलको में शृंखला कमजोर अन्तरा-अणुक बलों द्वारा एक दूसरे से जुड़ी रहती है, जिसमें रबर के समान प्रत्यास्थता का गुण होता है। प्रमुख उदाहरण - प्राकृतिक रबर एवं संश्लेषित रबड़। 

 

(ii)            तन्तु या रेशे - तंतु अथवा रेशे लम्बी (Long), पतली

(Thin), लोचशील (Flaxible) एवं धागेनुमा (Thread like) संरचनाएं हैं। इन बहुलकों में प्रबल कणान्तर बल के समान हाइड्रोजन बंध पाया जाता है। ऐसे बहुलकों की तन्य सामर्थ्य (Tensile Strength) और मापांक (Modulus) उच्च होते हैं। ये बहुलक धागे के समान होते हैं, अत: इनसे वस्त्र बुना जा सकता है। उत्पादन एवं निर्माण के आधार पर रेशों को निम्न वगोर्ं में विभाजित किया जाता है- प्राकृतिक रेशे (Natural Fibers), अर्द्ध-संश्लेषित रेशे (Semi-Synthetic), संश्लेषित रेशे (Synthetic Fibers)

प्लास्टिक (Plastics)- प्लास्टिक शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के प्लास्टिकोज (Plastikos) शब्द से मानी जाती है, जिसका अर्थ है- ढालना (TO Mould) वर्ष 1846 में प्लास्टिक का आविष्कार जर्मन वैज्ञानिक क्रिश्चियन शोनबेन (Christian Schonbein) ने किया था। प्लास्टिक लम्बी कार्बन के यौगिकों की श्रृंखलाओं से निर्मित बहुलक है। इनका निर्माण जीवाश्म र्इंधन पेट्रोरसायनों के उपयोग के द्वारा किया जाता है क्योंकि इन र्इंधनों के हाइड्रोकार्बन्स में उपस्थित कार्बन एवं हाइड्रोजन परमाणु बहुलक की लंबी श्रृंखलाओं के निर्माण में छोटे खण्ड (Building Blocks) होते हैं।

प्लास्टिक निर्माण में पेट्रोरसायनों के अलावा प्लास्टिसाइजर्स (Plasticizers) स्थिरता प्रदान करने हेतु स्टैबिलाइजर्स तथा सु–ढ़ बनाने हेतु रिइन्फोर्समेन्ट्स अभिकर्मक (Reinforcements Agent), योजक (Additives), रंजक (Dye) आदि को मिश्रित किया जाता है।

 

प्लास्टिक के प्रकार - भौतिक गुणों के आधार पर इन्हें मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया गया है- थर्मोप्लास्टिक

तथा थर्मोसेटिंग प्लास्टिक।

 

(ii)            तापसुनम्य या थर्मोप्लास्टिक- इस प्रकार के बहुलकों में अन्तरा अणुक बल, इलेस्टोमर से अधिक, लेकिन फाइबर बहुलकों से कम होते हैं। इन बहुलकों को गर्म करके तथा कमरे के ताप पर ठण्डा करके आवश्यकता अनुसार आकार में ढाला जा सकता है। ये बहुलक ताप ग्रहण करने मुलायम हो जाते हैं और ज्यादा तापमान देने पर पिघलं जाते हैं एवं ठण्डा करने पर कठोर हो जाते हैं। थर्मोप्लास्टिक बहुलकों के प्रमुख उदाहरण हैं- पॉलिथीन, पॉलिस्टाइरीन, पॉलीविनाइल क्लोराइड, टेफ्लोन, एक्रिलिक ग्लास/एक्रिलाइट/ल्युसाइट।

 

(iv)           ताप –ढ़ बहुलक या थर्मोसेटिंग प्लास्टिक - ये बहुलक गर्म करने पर कठोर और दुर्गलनीय (Infusible) हो जाते हैं। ये अधिकांशत: कम आण्विक द्रव्यमान के अर्ध द्रव (Semifluid) पदाथोर्ं के ढांचे (Mould) में गर्म करके निर्मित किये जाते हैं। गर्म करने पर इनकी श्रृंखलाओं में तिर्यक-जोड़े (Cross Linked) की त्रिविम जाल का निर्माण होता है, इसीलिए ये कठोर, दुर्गलनीय (non fused) अविलेय हो जाते हैं। थर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग बहुलकों में मुख्य अन्तर यह है कि थर्मोप्लास्टिक को बिना परिवर्तन के एक से अधिक बार पिघलाया जा सकता है, जबकि थर्मोसेटिंग बहुलकों को एक बार पिघलाने पर उनमें स्थायी परिवर्तन जाता है और ठण्डा करने पर ये ठोस हो जाते हैं, जिस कारण पुन: नहीं पिघलाया जा सकता। ताप –ढ़ बहुलक का प्रमुख उदाहरण मेलामाइन, बैकेलाइट।

 

मेलामाइन- इसका निर्माण मेलामाइन एवं फॉर्मेल्डिहाइड के बहुलकीकरण से होता है। यह एक कठोर थर्मोसेटिंग है, जिसका उपयोग सजावटी टाइलों, खाने के बर्तनों (Dinnerware) व्हाइट बोर्ड्स आदि के निर्माण में किया जाता है। इसे अग्निप्रतिरोधी (Fire- Retarding) योजकों के रूप में पेन्ट, प्लास्टिक एवं कागज में भी मिश्रित किया जाता है।

 


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