अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठन
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अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठन
विश्लेषणात्मक अवधारणा
विश्व भर में शान्ति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना की गई। अधिकांश झगड़ों और विभेदों का समाधान बिना युद्ध के किये जाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन का एक और तरीके से महत्व अधिक होता है- कुछ ऐसे काम राष्ट्रों के सामने आ जाते हैं जिनसे साथ मिलकर ही निपटा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 में की गई। भारत संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल राष्ट्र है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के अंतर्गत विश्व बैंक समूह तथा बहुपक्षीय और क्षेत्रीय विकास बैंक आते हैं जिनका वैश्विक उद्देश्य सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति है। विश्व बैंक समूह में-
(1) पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक
(2) अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ
(3) अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम
(4) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन और गरीबी कम करने के लिए यह संस्था वैश्विक आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देती है। एशियाई विकास बैंक ए यह एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना 19 दिसम्बर, 1966 को एशियाई देशों के आर्थिक विकास के सुगमीकरण के लिए की गई थी। कई ऐसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठन कार्य कर रहे हैं।
§ अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठन
वैश्विक स्तर पर पूंजी, तकनीक तथा व्यापार के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठन की आवश्यकता थी जिसके लिए विभिन्न संगठनों का गठन किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की स्थापना की शर्ते-
1. इनमें सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
2. इनके द्वारा लिए गए निर्णय सभी सदस्य देशों में स्वीकार्य होने चाहिए।
3. इनकी स्थापना बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय संगठन के प्रावधानों के अंतर्गत की जाती है जिनका उद्देश्य शांति स्थापना एवं विकास कार्यों के लिए मार्गदर्शन करना होता है।
4. समान उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इन्हें स्थायी और निष्पक्ष होना चाहिए।
§ अंतर्राष्ट्रीय संगठन
· अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) IMF की पहली बार संकल्पना 1944 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी। इसी सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण विश्व विकास बैंक के गठन पर चर्चा हुई।
· IMF के समझौते का प्रारूप 27 दिसम्बर 1945 को लागू हुआ, किन्तु इसने 1 मार्च, 1947 से वास्तविक रूप से कार्य करना प्रारंभ किया। नवम्बर, 1947 में यह संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण के रूप में शामिल हुआ।
· इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. (यू.एस.ए) में है। इसका क्षेत्रीय कार्यालय पेरिस एवं जेनेवा में स्थित है।
· वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 189 है।
§ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य
· अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।
· सभी सदस्य देशों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संतुलित विकास को बढ़ावा देना।
· अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों में स्थिरता बनाए रखना।
· बहुपक्षीय भुगतानों की व्यवस्था एवं विनिमय प्रतिबन्धों पर नियंत्रण रखना।
· सदस्य देशों को भुगतान संतुलन की समस्या के समय आर्थिक सहायता प्रदान करना।
§ प्रशासनिक संरचना
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सर्वोच्च निर्णायक संस्था गवर्नर मंडल है।
इसमें सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व होता है। गवर्नर मंडल में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा गवर्नर नियुक्त होता है, जो उस देश का वित्त मंत्री अथवा केन्द्रीय बैंक का गवर्नर होता है। साथ ही एक वैकल्पिक गवर्नर भी नियुक्त होता है, जो गवर्नर की अनुपस्थिति में बैठक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है।
§ भारत और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
भारत उन 11 देशों में से है जिन्होंने ब्रेटनवुड्स सम्मेलन (यू.एस.ए.) में हिस्सा लिया था। अतः यह IMF का संस्थापक सदस्य है।
· भारत के वित्तमंत्री अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के गवर्नर मण्डल के पदेन गवर्नर होते हैं एवं दूसरा गवर्नर आरबीआई का अध्यक्ष होता है।
· फरवरी 2017 में IMF में भारत का कोटा 2.44 से 2.76 हो गया, जिससे यह IMF का आठवाँ सबसे बड़ा कोटाधारक देश बन गया है।
§ अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक/विश्व बैंक
विश्व बैंक की स्थापना वर्ष 1944 के ब्रेटनवुड्स समझौते के तहत वर्ष 1945 में हुई थी। इसने 25 जूनए 1946 से कार्य करना प्रारंभ किया था।
· भारत इसका संस्थापक सदस्य देश है।
· यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की सह-संस्था है।
· इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. में है।
· इसके वर्तमान सदस्यों की संख्या 189 है।
· नौरू इसका 189वाँ सदस्य देश है।
§ विश्व बैंक के उद्देश्य
· सदस्य देशों के आर्थिक पुनर्निर्माण एवं विकास के लिए दीर्घकालीन पूंजी उपलब्ध कराना जिसकी अवधि 5 से 20 वर्ष तक होती है।
· सदस्य दशों के लघु एवं वृहत् परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु ऋण प्रदान करता है।
· युद्ध से पीडित देशों के अर्थव्यवस्था को शान्तिकाल अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने के लिए योजना तैयार करना।
· विश्व बैंक के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. जिम योंग किम हैं।
§ अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ
अंतर्राष्ट्रीय विकास परिषद अथवा संघ विश्व बैंक की महत्वपूर्ण संस्था है जिसे विश्व बैंक की उदार ऋण देने वाली खिड़की कहा जाता है। इसकी स्थापना 24 सितम्बर, 1960 को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में की गई।
· वर्तमान में इसके 173 सदस्य देश हैं।
· अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ निर्धन देशों को ऋण या अनुदान प्रदान करता है।
§ अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम
· इसकी स्थापना 1956 में हुई थी। यह भी विश्व बैंक समूह की संस्था है।
· इसके 185 सदस्य देश हैं।
· इसका मुख्य उद्देश्य निजी निवेश को प्रोत्साहन प्रदान करना है।
· यह विकासशील सदस्य देशों को निजी क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराता है।
§ बहुपक्षीय निवेश गारण्टी एजेन्सी
इसकी स्थापना 1988 में संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में हुई।
सदस्य संख्या- 181 देश
उद्देश्य - विकासशील सदस्य देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना ताकि ऐसे देशों में आर्थिक संवृद्धि हो सके, गरीबी में कमी एवं लोगों के जीवन-स्तर में सुधार किया जा सके। भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सुरक्षा के लिए बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी के समझौते पर 13 अप्रैल, 1992 को हस्ताक्षर किये।
निवेश संबंधी विवादों के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र (ICSID)
निवेश संबंधी विवादों में निपटारे के लिए यह एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।
स्थापना वर्ष- 1966
· ICSID निवेश संधियों तथा मुक्त व्यापार समझौते के प्रावधानों के अंतर्गत दो या अधिक राष्ट्रों के मध्य विवादों को सुलझाता है।
· यह सुलह, मध्यस्थता तथा तथा अन्वेषण के माध्यम से विवादों का समाधान करता है।
· इस संस्था ने कई अंतर्राष्ट्रीय निवेश झगड़े सुलझानेय जैसे- भारत-पाकिस्तान के मध्य नदी जल विवाद, मिस्त्र और इंग्लैण्ड में स्वेज नहर का विवाद आदि में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी
· वर्तमान ICSID की सदस्य संख्या-161 है।
§ संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड)
संयुक्त राष्ट्र संघ ने जेनेवा में एक विश्व व्यापार एवं विकास सम्मेलन बुलाया जो 23 मार्च, 1964 से 16 जून, 1964 तक चला। इसमें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित विश्वव्यापी नीतियाँ निर्धारित हुईं।
यही सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन माना गया।
मुख्यालय- जेनेवा
सदस्य संख्या- 194
उद्देश्य- अल्पविकसित देशों को विकास की ओर गति प्रदान करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना।
अंकटाड द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट,
· व्यापार एवं विकास रिपोर्ट
· व्यापार एवं पर्यावरण समीक्षा
· विश्व निवेश रिपोर्ट
· प्रौद्योगिकी एवं नवाचार रिपोर्ट
नोटः विश्व बैंक में शामिल संस्थाएँ निम्न हैं
1. अंतर्राष्ट्रीय विकास एवं पुनर्निर्माण बैंक- IBRD
2. अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ-IDA
3. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम- IFC
4. बहुपक्षीय निवेश गारण्टी संस्था- MIGA
5. निवेश विवादों को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र (ICSID)
§ विश्व आर्थिक मंच
(World Ecomonic Forum-WEF)
· यह विश्व आर्थिक मंच, सार्वजनिक-निजी सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
· स्थापना- जेनेवा (स्विटजरलैंण्ड)
· वार्षिक बैठक में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति तथा व्यापक स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श होता है।
§ विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट
· यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धा रिपोर्ट- 2019
· समावेशी विकास सूचकांक रिपोर्ट- 2018
· वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट- 2020
· वैश्विक जोखिम रिपोर्ट- 2019
§ भारत की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अन्य संगठन दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC)
स्थापना- 7-8 दिसम्बर, 1985 ढाका (बांग्लादेश)
सदस्य- भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव एवं अफगानिस्तान।
सचिवालय- काठमाण्डू (नेपाल)
उद्देश्य- सदस्य देशों के मध्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक सहायोग को बढ़ावा देना। सामान्य अभिरुचियों के मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी आपसी सहयोग को मजबूती देना।
§ ब्रिक्स (BRICS)
BRICS- ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका ब्रिक का पहला शिखर सम्मेलन 16, जून 2009 को रूस के येकाटेरिनबर्ग शहर में हुआ।
ब्रिक्स की अवधारणा के अनुसार ब्रिक्स देशों की अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धी न होकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करें।
नोट-ब्रिक्स शब्द का प्रथम प्रयोग वर्ष 2001 में गोल्डमैन सैश के जिम ओ नील द्वारा किया गया।
अब तक कुल 11 ब्रिक्स सम्मेलन हो चुके हैं
वर्ष 2018 के 10वें ब्रिक्स सम्मेलन की थीम (BRICS in Africa: Collaboration for Inclusive Growth and Shared Prosperity in The 4th industrial Revolution) था।
11वाँ ब्रिक्स सम्मेलन 13-14 नवम्बर, 2019 थीम- एक अभिनव भविष्य के लिए आर्थिक विकास।
§ बिम्सटेक (BIMSTEC)
स्थापना-6 जुलाई, 1997 थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक सदस्य देश- बांग्लादेश, इंडिया, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड वर्ष 2004 में नेपाल, भूटान सम्मिलित।
उद्देश्य- सदस्य देशों के मध्य व्यापार, निवेश, परिवहन, उद्योग, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, पर्यटन आदि क्षेत्रों को बढ़ाना देना।
बिम्सटेक सम्मेलन.-
पहला |
2004 |
थाइलैंण्ड |
बैंकॉक |
दूसरा |
2008 |
भारत |
नई दिल्ली |
तीसरा |
2014 |
म्यांमार |
नेपीटॉ |
चौथा |
30, 31 अगस्त, 2018 |
नेपाल |
काठमाण्डू |
पाँचवाँ |
2022 |
श्रीलंका |
कोलम्बा |
§ आसियान (ASEAN)
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संघ है। यह एक आर्थिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रीय संस्था है।
स्थापना- 8 अगस्त, 1967, दक्षिण पूर्वी एशिया के पाँच देश, मलेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, इण्डोनेशिया तथा थाइलैंड ने मिलकर की।
पाँच अन्य सदस्य- कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और ब्रुनेई है।
कुल सदस्य- 10
16वाँ भारत आसियान शिखर सम्मेलन, 3 नवम्बर 2019 बैंकॉक, थाईलैण्ड में हुआ।
§ G-20 (जी-20)
स्थापना- 1999, बर्लिन
· यह सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों एवं केन्द्रीय बैंकों के गवर्नरों की वार्षिक बैठक है।
· यह वित्तीय स्थायित्व से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करता है।
· अब तक कुल 13 जी-20 सम्मेलन हो चुके हैं। पहला नवम्बर, 2008 में वाशिंगटन डी.सी (अमेरिका) में सम्पन्न हुआ था।
· वर्ष 2018 में जी-20 सम्मेलन ब्यूनस आयर्स की तेरहवीं बैठक हुई।
मेजबान- अर्जेन्टीना
§ एशियाई विकास बैंक (ADB)
· एशियाई विकास बैंक द्वितीय विश्व युद्ध में हुए नुकसान की भरपाई के प्रयासों के लिए स्थापित किया गया था।
· इसका उद्देश्य ऐसी वित्तीय संस्थाओं का निर्माण करना था, जो कि एशिया की आर्थिक गतिविधियों को सुचारु रूप से जारी रख सकें।
स्थापना- दिसम्बर 1966 ।
मुख्यालय- फिलीपीन्स की राजधानी मनीला।
वर्तमान सदस्य- 68
भारत, एशियाई विकास बैंक का संस्थापक सदस्य है। -
§ पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC)
स्थापना- 10-14 सितम्बर, 1960 बगदाद।
सदस्य- 14
संस्थापक- ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, वेनेजुएला।
मुख्यालय- वियना (ऑस्ट्रिया)।
उद्देश्य- खनिज तेल के उत्पादन एवं इसकी कीमत पर नियंत्रण कर पेट्रोलियम निर्यात करने वाले राष्ट्रों के हितों की रक्षा करना। उपभोक्ताओं के लिए पेट्रोलियम की कुशल मितव्ययी तथा नियमित आपूर्ति के लिए तेल बाजारों की संभावनाएँ सुनिश्चित करना।
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