निम्न में से कौन सा/कौन से लोकनृत्य उत्तराखंड के है/हैं? |
1. छोलिया नृत्य |
2. झोड़ा नृत्य |
3. जागर नृत्य |
4. पवाड़ा नृत्य उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें |
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1, 2 और 4
D) 1, 2, 3 और 4
Correct Answer: D
Solution :
उत्तर - 1, 2, 3 और 4 |
व्याख्या - उत्तराखंड राज्य में लोक-नृत्यों की परंपरा बहुत प्राचीन है। उपरोक्त सभी लोकनृत्य उत्तराखंड के स्थानीय नृत्य हैं। |
· छोलिया नृत्य - यह कुमाऊं क्षेत्र का यह एक प्रसिद्ध युद्ध नृत्य है। जिसे शादी या धार्मिक आयोजन में ढाल व तलवार के साथ किया जाता है। गढ़वाल क्षेत्र के सरौ, पौणा नृत्य की तरह है। यह नागराज, नरसिंह तथा पांडव लीलाओं पर आधारित नृत्य है। |
· झोड़ा नृत्य - यह कुमाऊं क्षेत्र में माघ के चांदनी रात्रि में किया जाने वाला स्त्री-पुरुषों का श्रृंगारिक नृत्य है। मुख्य गायक वृत्त के बीच में हुडकी बजाता नृत्य करता है। यह एक आकर्षक नृत्य है, जो गढ़वाली नृत्य चांचरी की तरह पूरी रात किया जाता है। इसका मुख्य केंद्र बागेश्वर है। |
· जागर नृत्य - यह कुमाऊं एवं गढ़वाल क्षेत्र में पौराणिक गाथाओं पर आधारित नृत्य हैं, यह भी पस्वा द्वारा कृष्ण, पांडवों, भैरो, काली आदि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। जागर गीतों के ज्ञाता को जगर्या हाथ में डमरू व थाली लेकर तथा हरिजन वादक औजी हुड़का-हुडको व ढोल को बजाते हैं। |
· पवाड़ा - इसे भाडौं नृत्य भी कहा जाता है। यह कुमाऊं एवं गढ़वाल क्षेत्र के ऐतिहासिक और अनैतिहासिक वीरों की कथाएं इस नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है। यहां ऐसी मान्यता है, कि वीरों के वंशजों में वीरों की आत्मा प्रवेश करती है। ऐसे व्यक्ति जिन में वह आत्मा प्रवेश करती है, उसे पस्वा कहते है व पस्वा विभिन्न अस्त्रों से कलाबाजियां करते हुए पवाड़ा नृत्य करता है। |
You need to login to perform this action.
You will be redirected in
3 sec