A) गेहूं
B) चना
C) धान
D) सरसों
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर - धान |
व्याख्या - विभिन्न फसलों में जैव उर्वरक के रूप में नील हरित शैवाल का प्रयोग किया जाता है। नील हरित शैवाल का उपयोग जैव उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन आपूर्ति हेतु मुख्यत: धान की फसल में किया जाता है। |
चावल/धान - देश के उत्तरी-पश्चिमी भागों में यह दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु में खरीफ फसल के समय लगायी जाती है। इसके लिए औसत वर्षा 100 सें.मी. से अधिक और औसत तापमान 22 से 24 जरूरी होता है। छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है। |
चावल की प्रमुख किस्में - RH-204, DRR धान 45 (जिंक युक्त), पंजाब बासमती-3, पूसा 1609, पूसा सुगंधा-5, (पूसा 2511), साकेत, अन्नपूर्णा, माही सुगंधा, बरानी दीप, लूनी श्री, रोहिणी, पूसा 33, सरजू, कृष्णा, कावेरी, रत्ना, करूणा, चिंगम आदि। |
नोट - लूनी श्री किस्म के गुण - लंबे दाने कम उर्वरक आवश्यकता, लवणता प्रतिरोधी। चावल की नवीनतम रोग रोधी किस्में - पूसा 1609: झोंका रोग (Blast) की प्रतिरोधी किस्म पूसा 1592 एवं पंजाब बासमती-3 : जीवाणु पत्ती झलसा रोग (Bacterial Leaf Blight) |
बासमती चावल की किस्में - पंत बासमती 1 और 2, गंगा, सुरुचि, पूसा RH-10 (भारत द्वारा विकसित विश्व का प्रथम संकर बासमती चावल), PHB-71 आदि। |
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