A) कनीनिका (कार्निया)
B) नेत्रतारा (Pupil)
C) अक्षपट (रेटिना)
D) लेन्स
Correct Answer: C
Solution :
उत्तर -अक्षपट(रेटिना) |
व्याख्या - मनुष्य की आंख में प्रकाश तरंगें अक्ष पटल(रेटिना) पर स्नायु उद्वेगों के रूप में ही रूपान्तरित होती हैं। रेटिना नेत्र का भीतरी तंत्रिका स्तर होता है जो अनेक पतोर्ं से मिलकर बना होता है। जिनकी रचना तन्तुओं, तंत्रिका कोशिकाओं, अन्य कोशिकाएं शंकुओं(Cones) तथा शलाकाओं(Rods) से होती हैं। शंकु तीव्र प्रकाश में वस्तुओं और रंगों का अनुभव कराती है जबकि शलाकायें धीमे प्रकाश में प्रकाश और अंधेरे का अनुभव देती है। जब किसी वस्तु से निकली प्रकाश-किरणे आंखे में जाती हैं तो कैमरे के निगेटिव की भांति, वस्तु की वास्तविक, उल्टी तथा छोटी छवि(image) नेत्र की रेटिना पर पड़ती हैं। रेटिना की संवेदी कोशाएं संवेदित होती है और दृकतंत्रिका(Optic nerve) इस संवेदना को मस्तिष्क में पहुंचा देती हैं, जिसे मस्तिष्क अपनी विश्लेषण शक्ति द्वारा सामने वाली वस्तु के प्रतिबिम्ब के रूप में अनुभव करता है। |
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