दैनिक जीवन में रसायन

दैनिक जीवन में रसायन

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दैनिक जीवन में रसायन

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

 

रसायन के सिद्धांतों का उपयोग मानव जाति के हितों के लिए किया गया है। रसायन विज्ञान के उपयोग तीन महत्वपूर्ण और रोचक क्षेत्रों, अर्थात् औषधियों, खाद्य पदाथोर्ं तथा परिमार्जकों में किया जाता है।

 

औषधि (drugs) - औषधि कम अणु द्रव्यमान (-100-500u) की रसायन होती हैं। यह वृहत्त आण्विक (macro molecular) लक्ष्यों से अन्योन्यक्रिया करके जैव प्रतिक्रिया उत्पन्न करती हैं। जब जैव प्रतिक्रिया चिकित्सीय और लाभदायक होती है, तब इन रसायनों को औषधि कहते हैं और इनका उपयोग रोगों के निदान, निवारण और  उपचार के लिए किया जाता है। यदि अनुशाषित मात्रा से अधिक मात्रा का उपयोग किया जाए तो अधिकांश औषधि प्रभावकारी विष होती हैं। रसायनों के चिकित्सीय उपयोग को रसायन चिकित्सा कहते हैं।

 

1.     प्रतिअम्ल (Antacid)- वे रसायन जिनका उपयोग आमाशय की अम्लीयता को कम करने के लिए किया जाता है प्रति अम्ल औषधियां कहलाती है। बहुधाअधिक मात्रा में चाय, कॉफी, अचार, मुरब्बे, ऐलोपेथिक दवाओं के सेवन या अनियंत्रित रूप से खांद्य पदाथोर्ं का सेवन करने से आमाशय में जठर रस में अतिरिक्त हार्इड्रोक्लोरिक अम्ल स्त्रावित होने लगता है (अम्लपित्त) यदि pH का स्तर आमाशय में अधिक गिर जाये तो पेट में अल्सर (व्रण) बनने लगता है जो प्राणघातक होता है। प्रतिअम्ल वे लवण होते हैं जिनकी प्रकृति क्षारीय होती है जैसेमिल्क ऑफ मैग्नीशिया (मैग्नीशियमहाइड्रॉक्साइड), मैग्नीशियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम ट्राइसिलिकेट, एल्युमीनियम हाइड्रॉक्साइड जैल, सोडियम बाइकार्बोनेट, एल्युमीनियम फॉस्फेट आदि। कुछ प्रमुख प्रति अम्ल औषधियां सिमेटिडीन, रैनिटिडीन (जिन्टैक), ओमेप्रेजॉल, लैन्सोप्रेजोल आदि हैं।

 

2.     प्रति हिस्टैमिनया प्रतिएलर्जी औषधि (Antihistamines or Antiallergic Drugs)- वे रसायन जो एलर्जी के उपचार में प्रयुक्त होते हैं, प्रतिएलर्जी औषधियां कहलाती है। एलर्जी का कारण हिस्टेमीन नामक रसायन होता है जो त्वचा, फेफड़े, यकृत के ऊतकों रक्त में उपस्थित होता है। हिस्टैमीन, अल्फा एमीनो अम्ल हिस्टीडीन के विकार्बोक्सिलीकरण द्वारा उत्पन्न होता है। प्रतिएलर्जी औषधियों चूंकि हिस्टैमीन के विरूद्ध कार्य करती है अत: इन्हें प्रति हिस्टैमीन भी कहते हैं।

 

3.     तंत्रकीय सक्रिय औषधियां

(a) प्रशांतक (Tranquillizers) वे रसायन जिनका उपयोग मानसिक रोगों के निदान उपचार में किया जाता है, प्रशांतक कहलाते हैं। ये तंत्रिका सक्रिय औषधि है तथा केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) पर प्रभाव डालते हैं। ये व्यग्रता, चिन्ता, तनाव, क्षोभ से मुक्ति देते हैं। इनका निद्राकारी प्रभाव होता है, अत: ये सभी नींद की गोलियों के आवश्यक घटक हैं।  उदाहरण- मेप्रोबमेट, इक्वैनिल, क्लोरडाइजेपॉक्साइड आदि।

 

बारबिट्यूरेट्स : बारबिट्यूरिक अम्ल के व्युत्पन्न प्रशांतक के रूप में काम लिये जाते हैं। इनके प्रयोग से नींद आती है। उदाहरण: वेरोनल, ल्यूमीनल, सेकोनल आदि।

 

(b) पीड़ाहारी (Analgesics) वे रसायन जो पीड़ा या दर्द को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, पीड़ाहारी या दर्द निवारक औषधि कहलाते हैं। ये यह तंत्रिका सक्रिय औषधि है। ये दो प्रकार के होते हैं:

(i) अस्वापक (Non Narcotic) पीड़ाहारी: ये सामान्य पीड़ाहारी हैं जिनके सेवन से व्यक्ति इनका आदी नहीं होता है। इन पीड़ाहारी औषधि में ज्वलनशील लक्षण भी पाये जाते हैं. (Antipyretics) उदाहरण- ऐस्पिरिन, पैरासिटामॉल, ब्रूफेन नॉन नारकोटिक पीड़ाहारी है।

 

(ii)    स्वापक (Non- Narcotic) पीड़ाहारी: तीव्रता असह्य दर्द होने पर ऐसी पीड़ाहारी औषधियां का उपयोग किया जाता है जो निद्रा अचेतना उत्पन्न करती है। इन्हें नारकोटिक्स पीड़ाहारी कहते है। इनका सेवन करने से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है।

जैसे- मॉर्फीन, कोडीन, हशीस (हैरोइन) आदि।

 

4.     प्रति सूक्ष्मजीवी (Antimicrobials) - वे रसायन जो सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया, वाइरस, कवक, फफूंद आदि की वृद्धि को रोकते हैं या इन्हें नष्ट करते हैं। प्रति सूक्ष्मजीवी कहलाते हैं। मनुष्य तथा जीवों में कर्इ रोग विभिन्न सूक्ष्म जीवों जैसे- जीवाणु, वायरस, कवक तथा परजीवियों द्वारा उत्पन्न हो सकते हैं। इन सूक्ष्मजीवों के द्वारा उत्पन्न रोगों पर नियन्त्रण तीन प्रकार से किया जा सकता है:

(i)     ऐसी औषधि के उपयोग द्वारा जो शरीर में उपस्थित सूक्ष्म जीवों को मार देती है। ये औषधियां जीवाणुनाशी कहलाती हैं।

(ii)    ऐसी औषधि के उपयोग द्वारा जो सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकती है। ये औषधियां जीवाणुरोधी कहलाती हैं।

(iii) शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करके प्रति जैविक तथा पूतिरोधी, प्रति सूक्ष्म जैविक औषधियां है।

 

(a)    प्रतिजैविक (Antibiotic)- वे रसायन जो जीवाणुओं, कवक एवं फफूंद द्वारा उत्पन्न होते है और मनुष्य अन्य जीवों के शरीर में संक्रामक रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोक देते हैं या उन्हें नष्ट कर देते हैं, प्रति जैविक कहलाते है। ऐसे यौगिकों का संश्लेषण भी किया गया है जो प्रतिजैविक की तरह कार्य करते हैं। अत: अन्य शब्दों में प्रति जैविक आंशिक या पूर्ण रूप से संश्लेषित वे रसायन हैं जो सूक्ष्म जीवों के उपापचयी प्रक्रमों में अवरोध उत्पन्न करके उनकी वृद्धि को रोकते हैं या उन्हें नष्ट करते हैं।

सन् 1929 में अलेक्जैण्डर फ्लेमिंग ने फफूंद पेनिसिलियम नोटेटम से प्रति जैविक की खोज की और इसका नाम पेनिसिलीन रखा। पेनिसिलीन के पृथक्करण, शोधन के पश्चात चिकित्सकीय परीक्षण के लिए पर्याप्त मात्रा में एकत्र करने में उन्हें तेरह वर्ष लगे। इस कार्य के लिए फ्लेमिंग को 1945 में चिकित्सा का नोबल पुरस्कार दिया गया।

 

प्रति जैविक दो प्रकार के होते हैं-

§  जीवाणुनाशी (Bactericiadal)- ये सूक्ष्म जीवाणुओं को मारते है। उदाहरण: पेनिसिलिन, ऑफ्लोक्सासिन, ऐमीनोग्लाइकोसाइड।

§  जीवाणुनिरोधी (Antibacterial)- ये सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। उदाहरण: क्लोरैम्फनिकॉल, ऐरिथोमाइसिन, टेट्रासाइक्लीन आदि।

 

कुछ प्रमुख प्रति जैविक (atibiotics) निम्नलिखित हैंपेनिसिलिन, क्लोरेम्फेनिकॉल, स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन।

(b)    पूतिरोधी (Anticeptics) - वे रसायन जो हानिकारक सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को कम करते हैं या उन्हें नष्ट करते हैं तथा जीवित ऊतकों को हानि नहीं पहुंचाते हैं. पूर्तिरोधी कहलाते हैं। एंटीसेप्टिक का उपयोग जीवित ऊतकों पर जैसे त्वचा के कटने या घाव होने पर किया जाता है। एंटीसेप्टिक का उपयोगी शरीर में बैक्टीरिया द्वारा. अपघटन से उत्पन्न गंध को कम करने के लिए किया जाता है। इन्हें दुर्गध नाशकों माउथवाश, डियोडरेन्ट, टूथपेस्ट, टूथपाउडर, चेहरे के पाउडर में मिलाया जाता है।

 

5. प्रतिनिषेचक औषधियां (Antifertility drugs) - वे रसायन जो जनन- उत्पादकता को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं प्रति निषेचक औषधि कहलाते हैं।

रंजक (Dyes)

 

रंजक एवं वर्णक (Dyes and Pigments)- वे कार्बनिक यौगिक जो विभिन्न प्रकार के रंगों, खाद्य पदाथोर्ं, कागज, दिवारों एवं अन्य पदाथोर्ं को रंगने के लिए प्रयुक्त किये जा सकते हैं रंजक कहलाते हैं।

 

खाद्य पदाथोर्ं में रसायन (Chemicals in food) खाद्य पदाथोर्ं को ‘सुरक्षित रखने, आकर्षण एवं रंगीन बनाने एवं मिठास बढ़ाने में मिश्रित विशिष्ट रसायनों का उपयोग निम्न हैकृत्रिम मधुकर, परिरक्षक, प्रति ऑक्सीकारक, खाद्यरंग


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